आदि में शब्द [*शब्द यूनानी शब्द है “लोगोस” जिसका अर्थ है संदेश। इसका अनुवाद “सुसमाचार” भी किया जा सकता है। यहाँ इसका अर्थ है यीशु। यीशु एक मार्ग है जिसके द्वारा खुद परम पिता ने लोगों को अपने बारे में बताया।] था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था।
परमेश्वर की संतान के रूप में वह कुदरती तौर पर न तो लहू से पैदा हुआ था, ना किसी शारीरिक इच्छा से और न ही माता-पिता की योजना से। बल्कि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ।
यूहन्ना ने उसकी साक्षी दी और पुकार कर कहा, “यह वही है जिसके बारे में मैंने कहा था, ‘वह जो मेरे बाद आने वाला है, मुझसे महान है, मुझसे आगे है क्योंकि वह मुझसे पहले मौजूद था।’ ”
परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा किन्तु परमेश्वर के एकमात्र पुत्र ने, जो सदा परम पिता के साथ है उसे हम पर प्रकट किया। [†एकमात्र पुत्र … प्रकट किया शाब्दिक, “एकमात्र परमेश्वर, जो कि पिता के बहुत निकट है उसने हमें दिखलाया है कि वह कैसा है।” कुछ दूसरे यूनानी प्रतियों में यह इस तरह है, “एकमात्र पुत्र पिता के बहुत निकट है और हमें उसने दिखलाया है कि वह कैसा है।”] (मत्ती 3:1-12; मरकुस 1:1-8; लूका 3:1-9, 15-17)
उन्होंने यूहन्ना से पूछा, “तो तुम कौन हो, क्या तुम एलिय्याह हो?” यूहन्ना ने जवाब दिया, “नहीं मैं वह नहीं हूँ।” यहूदियों ने पूछा, “क्या तुम भविष्यवक्ता हो?” उसने उत्तर दिया, “नहीं।”
(32-34) फिर यूहन्ना ने अपनी यह साक्षी दी: “मैनें देखा कि कबूतर के रूप में स्वर्ग से नीचे उतरती हुई आत्मा उस पर आ टिकी। मैं खुद उसे नहीं जान पाया, पर जिसने मुझे जल से बपतिस्मा देने के लिये भेजा था मुझसे कहा, ‘तुम आत्मा को उतरते और किसी पर टिकते देखोगे, यह वही पुरुष है जो पवित्र आत्मा से बपतिस्मा देता है।’ मैनें उसे देखा है और मैं प्रमाणित करता हूँ, ‘वह परमेश्वर का पुत्र है।’ ”
जब यीशु ने मुड़कर देखा कि वे पीछे आ रहे हैं तो उनसे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिये?” उन्होंने जवाब दिया, “रब्बी, तेरा निवास कहाँ है?” (“रब्बी” अर्थात् “गुरु।”)
यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “आओ और देखो” और वे उसके साथ हो लिये। उन्होंने देखा कि वह कहाँ रहता है। उस दिन वे उसके साथ ठहरे क्योंकि लगभग शाम के चार बज चुके थे।
उसने पहले अपने भाई शमौन को पाकर उससे कहा, “हमें मसीह मिल गया है।” (“मसीह” अर्थात् “ख्रीष्ट।” [‡ख्रीष्ट शाब्दिक, “अभिषिक्त” यह शब्द पुराने नियम के समारोह से आया है। इस समारोह में किसी व्यक्ति के सिर पर तेल डाल कर या मल कर उसे उच्च पद के लिये चुना जाता था — मुख्य रूप से नबी, याजक या राजा। यह समारोह दिखलाता था कि वो व्यक्ति परमेश्वर की ओर से इस पद के लिये चुना गया है। ख्रीष्ट के लिए इब्रानी शब्द “मसीह” है। पुराने नियम में इस शब्द का प्रयोग राजाओं, नबियों और याजकों के लिये किया गया था जिन्हें परमेश्वर लोगों के पास अपने और लोगों के बीच संबन्ध स्थापित करने के लिए भेजते थे।] )
फिलिप्पुस को नतनएल मिला और उसने उससे कहा, “हमें वह मिल गया है जिसके बारे में मूसा ने व्यवस्था के विधान में और भविष्यवक्ताओं ने लिखा है। वह है यूसुफ का बेटा, नासरत का यीशु।”
नतनएल ने पूछा, “तू मुझे कैसे जानता है?” जवाब में यीशु ने कहा, “उससे पहले कि फिलिप्पुस ने तुझे बुलाया था, मैनें देखा था कि तू अंजीर के पेड़ के नीचे था।”
इसके जवाब में यीशु ने कहा, “तुम इसलिये विश्वास कर रहे हो कि मैंने तुमसे यह कहा कि मैंने तुम्हें अंजीर के पेड़ के नीचे देखा। तुम आगे इससे भी बड़ी बातें देखोगे।”